रंजिनी अप्सरा साधना

@@रंजिनी अप्सरा साधना@@
यह साधना श्रावण मास में किसी भी शुक्रवार को रात्रि 11 बजे से शुरू करे
यह साधना पूर्ण रूप से प्रकाशित की गयी है।इसमें कोई त्रुटि नही है,जैसा निर्देश् दिया है वैसे ही सिद्ध करे,प्रथम चरण में सिद्ध हो जायेगी।
सबसे पहले नहा धोकर कमरे को जल से साफ़ करे।उसके बाद कमरे में गुलाब,मोगरा,चमेली का सेंट छिड़के।केवड़े की धूप बत्ती जलाये।कमरे को पूर्ण रूप से सुगन्धित कर दे।
गुलाब,हिना,मोगरा का इत्र मिल जाय तो साधना से पहले पुरे शरीर पर तेल की तरह मालिश करे।।जमीन पर लाल गुलाब की पत्तिया बिखेर दे।
मोगरा अथवा केवड़े का जल मिल जाय तो फर्श पर छिड़क सकते है।साधक वस्त्रो को भी सेंट, इत्र से सुगंधित कर ले।

यह अप्सरा साधक को प्रेमिका रूप   में
सिद्ध होती है।
जब यह आती है तो कभी कभी साधक को कमरे की सुगंध बढ़ती दिखाई देती है तो कभी तेज सफ़ेद लाइट अपने पीछे से आगे की ओर आते दिखाई देती है।कभी कभी घुंघरुओं की आवाजे सुनाई देती है।
सामग्री।
1 यह साधना 21 दिन की है।
11 माला रोज जाप करना है।
2 दिशा उत्तर होगी।
3 सबसे पहले पवित्रीकरण उत्तर दिशा में मुख करके करेअपने शरीर के लिये,उसके बाद सामग्री का पवित्रीकरण करे।
4 पवित्रीकरण के बाद साधक नेऋत्य दिशा की और मुख करे और अपने पास ताँबे के कलश में जल,एक प्लेट में थोड़े चावल,फूल की पत्तिया रखे।फिर फर्श पर एक धूपबत्ती जलाये और वास्तुदोष पूजन करे।
5 फिर उत्तर दिशा में मुख करके गुरुमन्त्र का 1 माला जापकरे,उसके बाद 1 माला ॐ नमः शिवाय का जाप करे।
6 फिर 11 माला अप्सरा मन्त्र का जाप करे।
7 साधना समाप्त होने पर वही सो जाए।
साधना सामग्री
रुद्राक्ष की माला
लाल चन्दन या सिंदूर का तिलक
वस्त्र लाल
आसन लाल या कुशासन
अंगूठा और बीच की ऊँगली से जाप दाहिने हाथ की
कांसे की थाली में थोडा सा सिंदूर,चावल,देशी मावे की सफ़ेद मिठाई,फल, गुलाब के फूल,इत्र,
धूपबत्ती,घी का दिया जलाये।अपने सामने कुशासन या बाजोट पर लाल कपडा बिछाकर उसके ऊपर थाली रखे,दाहिनी ओर जल कलश।
21 वे दिन गुलाब के फूलो की माला रखे और जब प्रत्यक्ष हो तो पहना दे और वचन ले ले ,उसकी कोई भी शर्त न माने।साधना के बीच में अगर आ जाय तो उससे बात न करे।
केवल खीर का भोजन साधक करे।
यह प्रेमिका रूप में सिद्ध हो जाती है।
मन्त्र
ॐ ऐम रंजिनी मम् प्रियाय आज्ञा वश्य पालय हुम् फट्  ।
गुरु मन्त्र
ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः
पवित्रीकरण  दाहिने हाथ में जल लेकर

शरीर
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वास्थाम गतो अपिवाह यह स्मरेत् पुण्डरी काक्षम सा ह बाह्य अभ्यन्तरः शुचिः
सामग्री
ॐ पुण्डरी काक्षम पुनातु

वास्तु दोष का फ़ोटो में देखे।
संकल्प ले।।साधना के पहले दिन।

पंडित मुदित मिश्रा
+919811696036

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